दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवरेस्ट पर पहुंचना और वहां पताका फहराना पर्वतारोहियों के लिए बड़ी उपलब्धि होती है. वहां पहुंचकर आसपास के नजारों की सुंदरता को निहारना और उसे अपने कैमरे में कैद करना भी लाइफ का अलग मज़ा है. इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं, जो बर्फीली चोटियों पर बसने के सपने को साकार करने की संभावना तलाशने जाते हैं, लेकिन ये सफर बेहद कठिनाईयों से भरा होता है. हड्डियां जमा देने वाली सर्दी में कई दिन बिताना हर किसी के वश की बात नहीं.
इसी कारण माउंट एवरेस्ट पर भीड़ बढ़ती जा रही है. जिसे देखो, वो एवरेस्ट पर चढ़ने का दम भरता है. अब वो दिन नहीं रहे जब एवरेस्ट का नाम सुनकर रूंह कांप जाती थी. अब लोग रिकॉर्ड बनाने के लिए कम, प्रकृति का नजारा लेने के लिए ज्यादा एवरेस्ट की चढ़ाई करते हैं. जिसकी वजह से अब वहां भी वेटिंग लिस्ट देखी जा रही है. एक जत्था हटेगा तभी दूसरा पहुंचेगा. इस कारण हादसे बढ रहे हैं, जहां तहां कचरे के ढेर भी जमा हो रहे है. तो इसी के चलते नेपाल सरकार दूसरा रास्ता सोच रही है. सरकार कुछ ऐसा कानून लाने जा रही है ताकि एवरेस्ट की चढ़ाई महज तफरी बन कर न रह जाए.
खबरों के मुताबिक, एवरेस्ट पर चढ़ने वालों को पहले ये साबित करना होगा कि वे किसी और चोटी पर चढ़ाई कर चुके हैं. कानून के दायरे में अब टूरिजम कंपनियां भी आएंगी जो अपने क्लायंट वहां ले जाती हैं. टूरिज्म कंपनियों को ये दिखाना होगा कि उन्हें इस मामले में 3 साल का अनुभव है. जो कंपनी पिछले तीन साल से एवरेस्ट क्लाइंबर्स को ले जाती रही है. उसे ही तरजीह दी जाएगी.
एवरेस्ट की चढ़ाई पर कॉस्ट कटिंग भी हावी है. हर कोई कम पैसों में बाजी मार लेना चाहता है. इसका असर उन कंपनियों पर पड़ा है, जो एवरेस्ट की यात्रा आयोजित करती हैं. उन पर कम पैसों में ज्यादा लोगों को ले जाने का दवाब है. कॉस्ट कटिंग के फेर में कई लोगों की जान जाने की भी खबर आई है. ऐसे में कई किस्से ऐसे सुनने को मिलते है कि एवरेस्ट पर चढ़ाई करने वाला दल लापता हो गया. बाद में बचाव दल ने काफी मेहनत के बाद क्लाइंबर्स को बचाया. वहीं इस पर नकेल कसने के लिए नेपाल सरकार चढ़ाई की फीस बढ़ाने जा रही है. साथ ही चढ़ाई कराने वाली कंपनियों को 35 हजार डॉलर तक की राशि चुकानी पड़ सकती है.
अब एवरेस्ट पर चढ़ने से पहले आपको काफी तरह के टेस्टे से होकर गुजरना होगा. जिसमें सेहत और क्लाइंबिंग स्किल भी शामिल हैं. फिटनेस टेस्ट और चढ़ाई की कुशलता देखने के बाद परमिट जारी किया जाएगा. अभी के नियम के मुताबिक चढ़ाई करने वाले यात्रियों को पासपोर्ट की एक कॉपी,बायोडाटा और हेल्थ सर्टिफिकेट मांगा जाता है. इसमें परेशानी ये है कि नेपाली प्रशासन लोगों की सेहत के बारे में छानबीन नहीं कर पाता कि सर्टिफिकेट में जो लिखा है, वह कितना सही है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, एवरेस्ट का परमिट उसे ही मिलेगा. जो पहले 21,300 फीट की ऊंचाई तक जा चुका होगा.