जिंदगी भी बड़ी हसीन और प्यारी सी है. रात को नींद नहीं आती और सुबह नींद नहीं खुलती. सबसे बड़ी बात अगर आपसे पूछा जाए कि आपको सबसे पहले सुबह कौन उठाता है. तो आप कहेंगे पूरी दुनिया में जिसके पास क्षमता है, वो है हमारा दोस्त अलार्म. जो सुबह बजता है. आपकी मीठी नींद को उड़ाता है, आपका चैन चुराता है, आपको बिस्तर से उठाता है. एक राज की बात और अगर आप अलार्म बंद करके सो जाते हैं, तो वो डांट भी लगाता है, कि भाई जब उठना ही नहीं था, तो मुझे क्यों डिस्टर्ब किया.अलार्म एक ऐसी चीज है, जिसे हर कोई लगाता है.
शायद अलार्म न हो तो हमारा क्या होगा. क्योंकि रात को तो फोन हमें सोने नहीं देता. जितनी मर्जी कोशिश कर लो, इंस्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप, चैंटिग से ध्यान हटे तभी तो नींद आए. अब टीवी पर कितनी बार सूर्यवंशम देखें, या साउथ की एक्शन ड्रामा झेलें. कितने समाचार देख लें. मगर सबसे बड़ी दिक्कत तो ये है कि कुछ भी कर लो सुबह तो उठना ही पड़ेगा. चाहे जिम जाना हो, मॉर्निंग वॉक पर जाना हो और हां दफ्तर को कैसे भूल सकते हैं. वो तो जिंदगी भर का साथ और जिंदगी भर का विकास है.
लेकिन सारा रोना सुबह उठने का… उठने की जिम्मेदारी अलार्म की…. तुम अलार्म के खिलाफ नहीं जा सकते क्योंकि तुम्हारे पास कोई चारा नहीं है. तुम उसके आगे बेचारे हो. क्योंकि वो बोलता रहेगा, बजता रहेगा, चीखता रहेगा, अपने फोन के मालिक को उठा के ही दम लेगा. क्योंकि इसके अलावा आपके पास कोई ऑप्शन नहीं है. अगर आप किसी को घर पर कहेंगे उठाने के लिए तो वो आपको उठाने में लेट हो सकता है, लेकिन अलार्म अपनी जिम्मेदारी बड़ी बखूबी निभाता है.आजकल आप वो वीडियो देख रहे होंगे सोशल मीडिया पर पैराग्लाइडिंग वाली भाई 100-200 ले लो, लेकिन नीचे उतार दो. खास बात ये है कि अगर अलार्म भी पैसा मांगता तो भारत की जीडीपी अभी 5% पहुंची फिर तो देश अमीर हो जाता. क्योंकि वो सुबह उठाने के सभी से पैसे लेता.
सोचों अगर अलार्म के पास बोलने की शक्ति होती और आप सोकर नहीं उठते तो वो क्या करता. वो आपसे नाराज हो जाता, गुस्सा करता. अगर आप फिर भी नहीं उठते तो शायद गाली देकर उठाता. क्या पता आप ऐसे ही उठ जाओ. लेकिन दिन की शुरुआत अलार्म करवा देता है. थैंक्स यार आर्टिकल लिखऩे वाला भी अलार्म का शुक्रगुजार है, कि वो सुबह उठकर 5 बजे अलार्म के बदोलत ही जिम चला जाता है. फिर ऑफस में आकर आर्टिकल भी लिख देता है.