बीजेपी के भीष्म पितामह, मार्गदर्शक और लौहपुरुष के नाम से विख्यात लालकृष्ण आडवाणी 8 नवंबर यानी आज 92 साल के हो गए है. उनका जन्म कराची (पाकिस्तान) में 1927 को हुआ था. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई दी. मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘विद्वान, राजनीतिज्ञ और सबसे आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी भारत हमेशा आपके अभूतपूर्व योगदान को याद रखेगा. आडवाणी जी ने बीजेपी को आकार और ताकत देने के लिए दशकों तक कठिन परीश्रम किया है.’’
Scholar, statesman and one of the most respected leaders, India will always cherish the exceptional contribution of Shri Lal Krishna Advani Ji towards empowering our citizens. On his birthday, I convey my greetings to respected Advani Ji and pray for his long and healthy life.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 8, 2019
For Advani Ji, public service has always been associated with values. Not once has he compromised on the core ideology. When it came to safeguarding our democracy, he was at the forefront. As a Minister, his administrative skills are universally lauded.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 8, 2019
92 का हीरो हुआ 92 का
लालकृष्ण आडवाणी आज 92 साल के हो गए. आडवाणी 1992 के अयोध्या आंदोलन के नायक रहे. उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर 1990 में गुजरात के सोमनाथ से शुरू की गई उनकी रथ यात्रा ने भारत के सामाजिक ताने-बाने पर अंदर तक असर डाला. देखिए समय के पहिए का हेर-फेर ही कह लीजिए बड़ी विडंबना है कि 92 के हीरो आडवाणी आज जब जीवन के नितांत अकेले पलों में अपना जन्मदिन मना रहे हैं तो उसी अयोध्या आंदोलन पर हिन्दुस्तान की सर्वोच्च अदालत का फैसला आने वाला है.
आडवाणी का योगदान
लालकृष्ण आडवाणी एक बड़े ही विन्रम स्वभाव का व्यक्ति जिसने राजनीति में विपक्षियों को मुंहतोड़ जवाब दिया. उनका 6 दशकों का बेदाग राजनीतिक जीवन रहा है. उन्होंने इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल से लड़ने में अहम भूमिका निभाई. एक ऐसा राजनेता जिसने सियासत में भूचाल ला दिया. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह को शक्ति दी की पार्टी में कोई वंशवाद नहीं किया जाये, वो पीएम बन सकता था, लेकिन उसने अपने प्रिय मित्र का नाम आगे कर दिया और खुद नंबर दो पर रहा.
लालकृष्ण आडवाणी का सफर
– लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची शहर में हुआ था.
– उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत RSS में एक स्वयं सेवक के रूप में की.
– सन् 1947 में आडवाणी को कराची में आरआरएस में सचिव बनाया गया था.
– श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में जब जनसंघ की स्थापना की तो लाल कृष्ण आडवाणी इसके सदस्य बनें.
– सन् 1972 में वो जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए.
– जनसंघ का जनता पार्टी में विलय के बाद आडवाणी ने 1977 में लोकसभा चुनाव लड़ा.
– जनता पार्टी की सरकार जब केंद्र में बनी तो आडवाणी उसमें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनें.
– उसके बाद जनता पार्टी से नाता तोड़ कर एक अलग पार्टी बनाई गई जिसका नाम था, बीजेपी. तो इसमें आडवाणी प्रमुख नेताओं में से एक थे.
– लाल कृष्ण आडवाणी को 1986, 1993 और 2004 में बीजेपी का अध्यक्ष चुना गया.
– आडवाणी की अध्यक्षता में ही 1989 में बीजेपी ने राम जन्मभूमि का मुद्दा उठाया और 1992 को बाबरी विध्वंस में आडवाणी का नाम आया.
– पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजेपयी के 2004 में राजनीति से संयास लेने के बाद बीजेपी के प्रमुख नेता बन गए.
– आडवाणी 2004 से 2009 में लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे.
– 2009 में लाल कृष्ण आडवाणी NDA की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार थे, लेकिन उनकी अगुवाई में उनको जीत नहीं मिल सकी.
आडवाणी की विरासत
आज जो पार्टी केंद्र में हैं, पूर्ण बहुमत से सरकार चला रही है, वो उन्हीं की बदौलत है. पार्टी खड़ी करने का क्रेडिट आडवाणी जी से कोई और नहीं छीन सकता. बेशक से लाल कृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति नहीं बनें लेकिन वो देश के लिए एक मिसाल है. आज आडवाणी उस मोड़ पर खड़े हैं जहां से उनका लंबा सियासी अतीत और देश में तेजी से बदलते घटनाक्रमों के ऐतिहासिक गवाह के रूप में उन्हें जाना जाता है. आजादी के बाद से बदलते देश और सियासत के वे चंद चेहरों में शामिल रहे हैं जिनके अनुभव का कोई सानी नहीं.