हनुमान जी को कलयुग का स्वामी कहा जाता है, क्योंकि हनुमान जी आज भी धरती पर निवास करते हैं और कलयुग के अंत तक हनुमान जी अपने शरीर में ही रहेंगे।
चारों जुग परताप तुम्हारा ।
है परसिद्ध जगत उजियारा ॥
पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी भगवान शिवजी के रुद्रावतार माने गए है. ऐसा कहा जाता है कि संकट मोचन आज भी धरती पर विचरण करते है, चूंकि उनको अजर-अमर होने का वरदान प्राप्त है.
हनुमान जी के बारे में माना जाता है की वो बाल ब्रह्मचारी हैं, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों खासकर तेलंगाना में हनुमान जी को विवाहित माना जाता है. इस स्थान पल हनुमान जी को उनकी पत्नी के साथ पूजा जाता है. बताया जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ विराजमान है. बतादें कि हनुमानजी की पत्नी का नाम सुवर्चला है और वे सूर्य देव की पुत्री हैं. यहां पर हनुमानजी और सुवर्चला का एक प्राचीन मंदिर है. इसके अलावा पाराशर संहिता में भी हनुमान जी और सुवर्चला के विवाह की कथा है.
कहां है ये मंदिर
हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला का मंदिर तेलंगाना के खम्मम जिले में है. यहां हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला की प्रतिमा विराजमान है. यहां की मान्यता है कि जो भी हनुमानजी और उनकी पत्नी के दर्शन करता है, उन भक्तों के वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है.
हनुमान जी को ज्ञान की प्राप्ति
पाराशर संहिता के अनुसार, भगवान सूर्य के पास 9 दिव्य विद्याएं थीं, जिनको हनुमान जी पाना चाहते थे. दिव्य विद्याएं पाने के लिए हनुमान ने भगवान सूर्य को अपना गुरु बनाया था. जिसके बाद भगवान सूर्यदेव ने इन 9 विद्याओं में से 5 विद्याओं का ज्ञान हनुमान जी को दे दिया, लेकिन बची हुई 4 विद्याएं वे हनुमान जी को नहीं दे सकते थे. बची हुई 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान सिर्फ उन्हीं शिष्यों को दिया जा सकता था, जो विवाहित हों, लेकिन भगवान हनुमान तो ब्रह्मचारी थे. इसी वजह से भगवान सूर्य चाह कर भी उन चार विद्याओं का ज्ञान अपने शिष्य को नहीं दे सकते थे. वहीं हनुमान जी सभी विद्याओं का ज्ञान पाने का प्रण ले चुके थे, वे किसी भी तरह सारी विद्याएं भी पाना चाहते थे. इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए भगवान सूर्य ने हनुमान जी को विवाह करने की बात कही. हनुमान जी अपने ब्रह्मचर्य नहीं खोना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस बात से मना कर दिया, लेकिन भगवान सूर्य के समझाने पर बची हुई चार विद्याओं का ज्ञान पाने के लिए हनुमानजी ने विवाह के लिए हां कर दी.
जब हनुमानजी विवाह के लिए मान गए तब उनके योग्य कन्या की तलाश की गई और यह तलाश खत्म हुई सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला पर. सूर्य देव ने हनुमानजी से कहा कि सुवर्चला परम तपस्वी और तेजस्वी है और इसका तेज तुम ही सहन कर सकते हो. सुवर्चला से विवाह के बाद तुम इस योग्य हो जाओगे कि शेष 4 दिव्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर सको. सूर्य देव ने यह भी बताया कि सुवर्चला से विवाह के बाद भी तुम सदैव बाल ब्रह्मचारी ही रहोगे, क्योंकि विवाह के बाद सुवर्चला पुन: तपस्या में लीन हो जाएगी. यह सब बातें जानने के बाद हनुमानजी और सुवर्चला का विवाह सूर्य देव ने करवा दिया. जिसके बाद हनुमान जी को 9 विद्याओं का ज्ञान प्राप्त हुआ.