“नमस्कार मैं कौन बनेगा करोड़पति से अमिताभ बच्चन बोल रहा हूं”, ये दमदार आवाज, वो बैठने का स्टाइल. वो चलने का स्टाइल. हर कोई जिसका दीवाना है. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के ‘शहंशाह’ कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन आज 77 साल के हो गए हैं. उनकी कड़ी मेहनत ने आज उन्हें उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा. क्या कॉमेडी, तो क्या एक्शन, हर जगह उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया है. इस शानदार एक्टिंग के दम पर उन्होंने फ़िल्मफेयर, नेशनल अवॉर्ड और इस साल दादा साहब फॉल्के भी हासिल किया है.
उन्होंने बॉलीवुड की कई शानदार फिल्में दी हैं, यूं तो अमिताभ बच्चन के लिए कोई भी रोल निभाना मुश्किल नहीं हैं. बच्चन का ‘अग्निपथ’ में विजय का किरदार जितना जबरदस्त था कि कोई उसको टक्कर भी देने की नहीं सोच सकता था. दूसरी तरफ निशब्द में अमिताभ का रोल वाकई काफी कठिनाईयों से भरा था. क्योंकि एक अधेड़ उम्र के आदमी का अपनी बेटी की उम्र की लड़की से प्यार कर बैठने का किरदार ही बखूबी से निभा सकते थे. चीनी कम में अमिताभ ने 64 साल के कुंवारे आदमी का रोल निभाया. फिल्म ‘पा’ में औरो का किरदार अमिताभ की जिदंगी का सबसे उम्दा और अनोखा किरादार रहेगा. अमिताभ की फिल्म ‘पीकू’ में अमिताभ ने साबित कर दिया कि उनके जैसा कोई दूसरा एक्टर हो ही नहीं सकता. आइए एक नजर उनके करियर पर डालते हैं.
800 रुपये से की थी शुरुआत
बिग-बी का जन्म 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में हुआ था. उन्होंमे अपने करियर की शुरुआत कोलकाता में बतौर सुपरवाइजर की थी. जहां उन्हें 800 रुपये मिला करता था, साल 1968 मे कोलकाता की नौकरी छोड़ने के बाद मुंबई आ गए. बचपन से ही अमिताभ बच्चन हीरो बनना चाहते थे.
पहली फिल्म
बिग बी को पहला मौका साल 1969 में ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘सात हिन्दुस्तानी’ में मिला. लेकिन फिल्म पर्दे पर ज्यादा कमाल नहीं कर सकी तो इसलिए वे दर्शकों के बीच कुछ खास पहचान नहीं बना पाए.
करियर चमका
करियर की शुरुआत में उन्होंने कई फ्लॉप फिल्में दी. लेकिन 1973 में ‘जंजीर’ फिल्म की कामयाबी ने अमिताभ बच्चन की ही नहीं बल्कि हिंदी सिनेमा की भी तस्वीर बदल दी. उसके बाद तो करीब अगले 4 सालों में ही 1977 तक अमिताभ बच्चन ने ‘अभिमान’, ‘नमक हराम’, ‘कसौटी’, ‘मजबूर’, ‘दीवार’, ‘शोले’, ‘चुपके-चुपके’, ‘मिली’, ‘कभी-कभी’, ‘दो अनजाने’, ‘हेरा-फेरी’, ‘अदालत’, ‘खून पसीना’, ‘परवरिश’ और ‘अमर अकबर एंथनी’ जैसी 15 शानदार फ़िल्में देकर सफलता और लोकप्रियता का नया इतिहास लिख दिया.
राजनीति में एंट्री
अमिताभ बच्चन साल 1984 में राजनीति में आए और अपने जन्म स्थान इलाहाबाद से सांसद का चुनाव लड़ा और चुनाव जीत भी गए. लेकिन बच्चन को ज्यादा दिनों तक राजनीति रास नहीं आई और तीन साल तक काम करने के बाद उन्होंने सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया. इसकी वजह ये थी कि उनका नाम उस समय बोफोर्स घोटाले में खींचा जा रहा था.
मौत को भी दी मात
ये बात 1982 की है, जब निर्माता-निर्देशक मनमोहन देसाई की फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान बिग बी गंभीर रूप से घायल होने के बाद मौत के मुंह मे पहुंच गए थे. इसके बाद देश के हर मंदिर, मस्जिद और गुरुदारे में लोगों ने उनके ठीक होने की दुआएं मांगी, मानों अमिताभ बच्चन उनके ही अपने परिवार का कोई अंग हो. लोगो की दुआएं रंग लाई और अमिताभ जल्द ही ठीक को गए.
बिग बी रिकॉर्ड जो आज तक नहीं टूटा
साल 1978 ये वो दौर था जब अमिताभ बच्चन ने एक महीने में ही लगातार चार सुपरहिट फिल्में दीं. बिग बी ने उस वक्त एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया जो अभी तक कोई भी दूसरा हीरो नहीं बना पाया है. ये 4 हफ्ते थे 21 अप्रैल से 12 मई 1978 तक के. इस दौरान मुंबई में पहले 21 अप्रैल को अमिताभ बच्चन की ‘कसमे वादे’ रिलीज हुई. उसके अगले हफ्ते 28 अप्रैल को ‘बेशर्म’ रिलीज हुई. फिर 5 मई को ‘त्रिशूल’ लगी तो उसके बाद 12 मई को ‘डॉन’ रिलीज़ हुई.