MyUpchar
अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, जानें इतिहास,इस केस में कब क्या हुआ
Explained Truth

अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी, जानें पूरा इतिहास, इस केस में कब क्या-क्या हुआ

अयोध्या केस
अयोध्या केस

सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक राम जन्म भूमि- बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई पूरी हो गई है. बतादें कि बुधवार को सुनवाई का 40वां दिन और अंतिम दिन था. वहीं हिंदू पक्ष की ओर से निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा, राम जन्म भूमि न्यास की ओर से दलीलें रखी गईं. मुस्लिम पक्ष की तरफ से राजीव धवन ने अपनी दलीलें रखीं. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल अयोध्या केस में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. तय समय से 1 घंटे पहले सुनवाई पूरी हो गई. शाम 4 बजे ही सुनवाई को पूरा कर लिया गया. माना जा रहा है कि 23 दिन बाद इसका फैसला आ जाएगा. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ओर से किसी तारीख का एलान नहीं किया है.

अयोध्या केस की सुनवाई में सभी पक्षों ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच के सामने अपनी दलीलें रखीं. कल मंगलवार को ही चीफ जस्टिस ने सभी पक्षों से बुधवार को अपनी दलील खत्म करने के लिए कहा था.

अयोध्या केस कब क्या हुआ

सन् 1528 में मस्जिद का बनवाई गई,  जिसे बाबरी मस्जिद का नाम दिया गया. हिंदुओं की मान्यता के मुताबिक इसी जगह पर भगवान राम का जन्म हुआ था.

1853 में हिंदुओं ने आरोप लगाया कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई. इस विवाद पर दोनों पक्षों के बीच हिंसा हुई.

फिर 1859 ब्रिटिश सरकार ने तारों की बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में हिदुओं औऱ मुस्लिमों को अलग-अलग पूजा करने की मंजूरी दे दी.

उसके बाद 1885 में मामला पहली बार अदालत पहुंचा. महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट से बाबरी मस्जिद के पास ही राम मंदिर बनाने की इजाजत मांगी.

23 दिसंबर 1949 को करीब 50 हिंदुओं ने मस्जिद के केंद्रीय स्थल पर भगवान राम की मूर्ति रख दी. फिर उस स्थान पर हिंदू रिति रिवाजों के साथ पूजा होने लगी. जिसके बाद मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया.

16 जनवरी 1950 को गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर की जिसमें रामलला की पूजा-अर्चना के लिए विशेष इजाजत मांगी.

5 दिसंबर 1950 को महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू रिति रिवाजों से पूजा-पाठ जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राम मूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया. फिर उसके बाद मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया.

17 दिसंबर 1959 को निर्मोही अखाड़ा कोर्ट पहुंचा और वहां अपना दावा पेश किया.

18 दिसंबर 1961 को यूपी के सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ढांचे के मालिकाना हक के लिए केस फाइल किया.

1984 में विश्व हिंदू परिषद ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को आजाद कराने और एक भव्य मंदिर का निर्माण के लिए अभियान शुरू किया. जिसके लिए एक समिति का गठन किया गया.

1 फरवरी 1986 को जिला अदालत ने इस जगह पर पूजा करने की इजाजत दे दी. जिसके बाद ताले दोबारा खोले गए. नाराज मुस्लिमों ने विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.

जून 1989 को बीजेपी ने वीएचपी को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दिया.

फिर 1 जुलाई 1989 को भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवा मुकदमा दाखिल किया गया.

9 नवंबर 1989 तत्कालीन पीएम राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी.

25 सितंबर 1990 बीजेपी अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से यूपी के अयोध्या तक रथ यात्रा शुरू की, जिसमें  साम्प्रदायिक दंगे हुए.

नवंबर 1990 में  आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में हिरासत में ले लिया गया. जिसके बाद बीजेपी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया.

अक्टूबर 1991 में यूपी में कल्याण सिंह सरकार ने बाबरी मस्जिद के आस-पास की 2.77 एकड़ जमीन अपने अधिकार में ले ली.

6 दिसंबर 1992 को  हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर  ढांचे को गिरा  दिया, जिसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए. जल्दबाजी में एक अस्थायी राम मंदिर बनाया गया.

16 दिसंबर 1992 को  मस्जिद की तोड़-फोड़ की जिम्मेदार स्थितियों की जांच के लिए लिब्रहान आयोग का गठन हुआ.

जनवरी 2002 में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने एक अयोध्या विभाग शुरू किया,  जिसका काम इस विवाद को सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था.

अप्रैल 2002 में  अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर हाई कोर्ट  के 3 जजों ने सुनवाई शुरू की.

मार्च-अगस्त 2003 को  इलाहबाद हाई कोर्ट के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. जिसमें  उन्होंने दावा किया कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष होने के प्रमाण मिले हैं. जिसके बाद मुस्लिमों में इसे लेकर अलग-अलग मत थे.

सितंबर 2003 में  एक अदालत ने कहा कि मस्जिद के विध्वंस को उकसाने वाले सात हिंदू नेताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाए.

जुलाई 2009 में  लिब्रहान आयोग ने गठन के 17 साल बाद भूतपूर्व पीएम  मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी.

28 सितंबर 2010 सुप्रीम कोर्ट ने इलाहबाद हाई कोर्ट को विवादित मामले में फैसला देने से रोकने वाली याचिका खारिज करते हुए फैसले का मार्ग प्रशस्त किया.

30 सितंबर 2010 को  इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया. जिसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और तीसरा निर्मोही अखाड़े को देने की बात कही गई.

9 मई 2011को  सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.

21 मार्च 2017 को  सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या केस को आपसी सहमति से विवाद सुलझाने को कहा.

19 अप्रैल 2017 को  सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और RSS के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया.

6 अगस्त 2019 को मामले में मध्यस्थता से कोई नतीजा नहीं निकल सका. जिसके बाद 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई.


Advertisement

Log in

Forgot password?

Forgot password?

Enter your account data and we will send you a link to reset your password.

Your password reset link appears to be invalid or expired.

Log in

Privacy Policy