भारत के प्राचीन शहर महाबलीपुरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई और दोनों नेताओं ने हाथ मिलाकर एक दूसरे का अभिवादन किया. इस मुलाकात की खास बात ये है कि पीएम मोदी दक्षिण भारतीय पारंपरिक वेशभूषा में नजर आए और इस तरह का नजारा उनके पीएम बनने के बाद पहली बार देखने को मिला है.पहले से तय था कि ये मुलाकात अनौपचारिक है और जब दोनों नेता मिले तो उनके पहनावे से लेकर हावभाव में कोई प्रोटोकॉल आड़े नहीं आया चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी साधे कपड़े में नजर आए. इससे पहले चीनी राष्ट्रपति के भारत पहुंचने पर पीएम नरेंद्र मोदी ने चीनी भाषा में ट्वीट किया. पीएम मोदी ने लिखा कि वेलकम टू इंडिया, प्रेसिडेंट शी जिनपिंग.
அதிபர் ஷி ஜின்பிங் அவர்களே!, இந்தியாவிற்கு வருக வருக என்று வரவேற்கிறேன். pic.twitter.com/LW7b4MpWHR
— Narendra Modi (@narendramodi) October 11, 2019
इसके बाद पीएम ने जिनपिंग को अर्जुन तपस्या स्थल महाबलिपुरम की शानदार स्मारकों से अवगत कराया, जहां पर अर्जुन ने तपस्या की थी. महाबलीपुरम के मुलाकात के स्थल पर बने दर्शनीय स्थल देखने के बाद शी जिनपिंग और पीएम मोदी पंच रथ मंदिर में बैठे और वहां बातचीत की.
PM @narendramodi and President Xi Jinping are at the Pancha Rathas complex in Mamallapuram. pic.twitter.com/ejVC1aBtxH
— PMO India (@PMOIndia) October 11, 2019
वहीं पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को कृष्ण का माखन लड्डू भी दिखाया,. इसकी ऊंचाई 6 मीटर और चौड़ाई करीब 5 मीटर है. इसका वजन 250 टन है. इस दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने नारियल का पानी पिया. इस दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ठहाके लगाते नजर आए. चीनी राष्ट्रपति का ये दौरा 48 घंटों का है.
बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद चीन के राष्ट्रपति का ये पहला भारत दौरा है. कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय रंग देने की पाकिस्तानी कोशिश में चीन ही एकमात्र ऐसा देश था, जिसने संयुक्त राष्ट्र संघ में भी पाकिस्तान का समर्थन किया था.
मुलाकात क्यों है खास
भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव और कश्मीर पर चीन के लगातार विरोधाभासी बयानों के बीच मोदी-शी शिखर बैठक काफी अहम है. वुहान के बाद दूसरी इनफॉर्मल समिट के अजेंडे में व्यापार, आसियान देशों के साथ प्रस्तावित फ्री ट्रेड, सीमा विवाद और 5 जी का मुद्दा प्रमुख होगा. कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, लिहाजा पीएम मोदी इसकी चर्चा नहीं करेंगे. अगर शी चिनफिंग इसे छेड़ते हैं तो भारत उन्हें पक्ष से वाकिफ कराएगा.