जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटाने के बाद और राज्य का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद से हिरासत में लिए गए तीन नेताओं को गुरुवार को रिहा कर दिया. इसकी जानकारी अधिकारियों ने दी है. उन्होंने कहा कि यावर मीर, नूर मोहम्मद और शोएब लोन को विभिन्न आधारों पर रिहा किया गया है. मीर राफियाबाद विधानसभा सीट से पूर्व विधायक रह चुके हैं, जबकि लोन ने कांग्रेस के टिकट से उत्तर कश्मीर से चुनाव लड़ा था जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने बाद में कांग्रेस छोड़ दी थी. उन्हें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन का करीबी माना जाता है. नूर मोहम्मद नेशनल कॉन्फ्रेंस के कार्यकर्ता हैं. वहीं अधिकारियों ने बुधवार को बताया था कि रिहा किए जाने से पहले नूर मोहम्मद एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर शांति बनाए रखने और अच्छे व्यवहार का वादा करेंगे. इससे पहले राज्यपाल प्रशासन ने पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के इमरान अंसारी और सैयद अखून को स्वास्थ्य कारणों से 21 सितंबर को रिहा किया था. 5 अगस्त को करीब 1 हजार से ज्यादा राजनेताओं, अलगाववादियों, वकीलों और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था. जिनमें J&K के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी शामिल हैं.
पीएसए के तहत फारूक अब्दुल्ला हिरासत में-
हिरासत में लिए गए नेताओं को बाद में छोड़ दिया गया था. लेकिन 250 से ज्यादा नेताओं को जम्मू-कश्मीर से बाहर की जेलों में रखा गया था. इसी बीच फारूक अब्दुला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया था. जबकि अन्य नेताओं को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत हिरासत में लिया गया.
मुफ्ती का बीजेपी पर निशाना
उधर पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को दो ट्वीट करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा. मुफ्ती ने बीजेपी पर वोट के लिए जवान कार्ड खेलने का आरोप लगाया, साथ ही कश्मीर में सेना की मौजूदगी पर भी सवाल उठाए. अपने पहले ट्वीट में मुफ्ती ने लिखा, ‘अगर कश्मीर में सब कुछ सामान्य है तो वहां 9 लाख सैनिक क्या कर रहे हैं? वे पाकिस्तान की ओर से होने वाले किसी हमले को रोकने के लिए वहां नहीं हैं, बल्कि विरोध प्रदर्शन को दबाने के लिए हैं. सेना की प्राथमिक जिम्मेदारी सीमाओं की सुरक्षा करना है, ना कि असंतोष को कुचलना है.’
What explains 9 lakh troops in Kashmir if everything’s normal’? They aren’t there because of an imminent attack from Pak but simply to quell protests. Army’s primary responsibility is to protect borders instead of being used to crush dissent.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) October 10, 2019
सेना की मौजूदगी पर उठाए सवाल
उन्होंने आगे लिखा ‘बीजेपी वोटों के लिए जवान कार्ड खेलती है और उनके बलिदानों का इस्तेमाल करती है. लेकिन सच्चाई ये है कि कश्मीरियों के साथ तोप के चारे की तरह व्यवहार किया जा रहा है. घाटी में अशांति बनाए रखने के लिए सैनिकों को मोहरे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है. सत्तारूढ़ दल को ना तो जवानों और ना ही कश्मीरियों की कोई चिंता है. उन्हें सिर्फ चुनाव जीतने की चिंता है.’ बता दें राज्य से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही मुफ्ती घर में नजरबंद हैं, और ये ट्वीट उनकी बेटी इल्तिजा ने किए हैं.