जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ ने यूनिवर्सिटी प्रशासन की ओर से इतिहारकार रोमिला थापर से प्रोफेसर पद पर बने रहने के लिए बायोडाटा मांगा. ताकि ये विचार किया जा सके कि JNU में उनकी सेवाएं एमेरिटा प्रोफेसर के रूप में जारी की जाएं या नहीं. इस मामले पर जवाहरलाल शिक्षक संघ ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन का रोमिला थापर से बायोडाटा मांगने का फैसला राजनीतिक रूप से प्रेरित है.
वहीं यूनिवर्सिटी ने कहा कि वे JNU में प्रोफेसर एमेरिटस के पद पर नियुक्ति के लिए अपने अध्यादेश का पालन कर रहा है. अध्यादेश के मुताबिक, विश्वविद्यालय के लिए जरूरी है कि वे उन सभी को पत्र लिखे जो 75 साल की उम्र पार कर चुके हैं ताकि उनकी उपलब्धता और यूनिवर्सिटी के साथ उनके संबंध को जारी रखने की उनकी इच्छा का पता चल सके. उन्होंने कहा कि पत्र सिर्फ उन प्रोफेसर एमेरिटस को लिखे गए हैं जो इस श्रेणी में आते हैं.
यूनिवर्सिटी ने साफ कहा है कि उसने ये पत्र उनकी सेवा ख़त्म करने के लिए नहीं बल्कि यूनिवर्सिटी की सर्वोच्च वैधानिक निकाय कार्यकारिणी परिषद द्वारा समीक्षा करने की जानकारी देने के लिए लिखा है और ऐसा अन्य प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी जैसे एमआईटी और प्रिसंटन यूनिवर्सिटी में भी होता है.
बहरहाल, जेएनयूटीए ने कहा कि ये एक जानबूझकर किया गया प्रयास है और उन लोगों को बेइज्जत करना है जो वर्तमान प्रशासन के आलोचक हैं. उसने इस कदम की औपचारिक वापसी और थापर के लिए व्यक्तिगत माफी जारी करने की मांग की है.
बतादें कि JNU के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने पिछले महीने रोमिला थापर को पत्र लिखकर उनसे सीवी जमा करने को कहा था. पत्र में लिखा था कि यूनिवर्सिटी एक समिति का गठन करेगी जो थापर के कामों का आकलन करेगी. जिसके बाद फैसला लिया जाएगा कि रोमिला प्रोफेसर एमेरिटा के तौर पर जारी रहेगी या नहीं. रोमिला थापर केंद्र सरकार की नीतियों की भी आलोचक रही हैं.
शशि थरूर का ट्वीट
तिरवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर इस पूरे घटनाक्रम पर टिप्पणी की है. थरूर ने ट्वीट किया कि JNU ने रोमिला थापर को उनकी प्रोफेसर एमरिटा स्थिति जारी रखने के लिए बायोडाटा देने को कहा, ये अपमान से भी बदतल है, ये शिक्षा के मूल्यों और सिद्धांतों और बौद्धिक योग्ता के लिए एक अपराध है. क्या JNU इससे भी नीचे गिर सकता है?
JNU asking Romila Thapar to submit a cv to JNU to continue her Professor Emerita status is worse than an insult, it is a crime against the values & principles of education & respect for intellectual merit. Can JNU sink any lower? https://t.co/mb9widqiNu
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 1, 2019
कौन हैं रोमिला थापर
रोमिला थापर देश की प्रमुख इतिहासकारों और लेखकों में से एक हैं. 30 नवंबर 1931 को लखनऊ में जन्मी थापर ने पहले पंजाब यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी में डिग्री हासिल की. उसके बाद उन्होंने लंदन यूनिवर्सिटी से प्राचीन भारतीय इतिहास में स्नानतक से डॉक्टरेट की उपाधि ली. थापर ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से शिक्षण की शुरुआत की थी. इसके बाद रोमिला कुछ सालों तक डीयू में भी पढ़ाती रहीं. 1970 में वे JNU आ गईं.