महाराष्ट्र की महाभारत खत्म, बीजेपी के हाथ खाली, शिवसेना का सीएम, एनसीपी किंगमेकर, कांग्रेस के पास 13 मंत्रालय
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 1 महीने से भी ज्यादा वक्त के बाद अब ये साफ हो गया है कि राज्य में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की गठबंधन सरकार बनेगी. इससे पहले बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस ने NCP के अजित पवार की मदद से सरकार बनाने का दावा किया. इसके बाद फडणवीस ने सीएम और अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. लेकिन सुप्रीम कोर्ट की ओर से 27 नवंबर यानी बुधवार शाम तक फ्लोर टेस्ट कराने के आदेश के बाद दोनों ने बारी-बारी से इस्तीफा दे दिया.
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इसी बीच महाराष्ट्र में एक नए राजनीतिक युग की शुरुआत हो रही है. जो ठाकरे परिवार अभी तक पर्दे के पीछे से सत्ता चलाता था, अब वो फ्रंटफुट पर आ गया है. गुरुवार देर शाम उद्धव मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. इसके तहत तीनों दलों के बीच सत्ता की भागेदारी का फॉर्मूल तय हुआ है. ऐसे में सवाल है कि एक महीने से चल रही महाराष्ट्र की सियासी महाभारत में कांग्रेस-NCP -शिवसेना-बीजेपी में किसने क्या पाया और किसने क्या खोया? किसके हिस्से में क्या आया.
साथी खोकर शिवसेना को मिली सत्ता
महाराष्ट्र की इस महाभारत में सबसे ज्यादा फायदा शिवसेना को ही हुआ. क्योंकि महाराष्ट्र में सीएम उद्धव ठाकरे बनने जा रहे हैं. शिवसेना को 5 साल के लिए मुख्यमंत्री पद देने पर NCP और कांग्रेस ने सहमति दे दी है. लेकिन शिवसेना ने अपनी 30 साल पुरानी साथी बीजेपी का साथ खो दिया है. पुराना गठबंधन टूट गया. वहीं शिवसेना ने केंद्र सरकार से अपने कोटे का मंत्री पद भी खो दिया है. साथ ही शिवसेना ने कांग्रेस-NCP के साथ जाकर अपनी कट्टर हिंदुत्व की छवि का भी भारी नुकसान पहुंचाया है.
कांग्रेस का सेकुलर विचारधारा से समझौता, तभी मिली सत्ता
कांग्रेस ने शिवसेना को समर्थन देकर महाराष्ट्र में सत्ता पाई है. ऐसे में उसके हिस्से डिप्टी सीएम, 13 मंत्री पद भी सरकार में मिले है, लेकिन उसे ये सब इतनी आसानी से नहीं मिला, इसके लिए उसने अपनी सेकुलर विचारधारा से भी समझौता किया. वहीं कांग्रेस का शिवसेना के साथ जाने को हिंदू विरोधी छवि से बाहर निकलने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है. इसकी कोशिश कांग्रेस 2014 के बाद से ही लगातार कर रही थी. दूसरी ओर कांग्रेस महाराष्ट्र में चौथे नंबर की पार्टी बनकर रह गई है.
शरद पवार की पावर, पार्टी टूटने से बचाई, सत्ता पाई
देखा जाए तो महाराष्ट्र में असल किंगमेकर NCP सुप्रीमो शरद पवार बनकर उभरे हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि पार्टी में राज्य में महाभारत और अजित पवार की बगावत के बाद भी उन्होंने पार्टी को टूटने नहीं दिया.बेशक शिवसेना को महाराष्ट्र की सत्ता मिली हो लेकिन इसका सूत्रधार पवार को माना जा रहा है. क्योंकि सत्ता का रिमोट कंट्रोल उन्हीं के पास होगा और NCP सत्ता में बराबर भागीदार भी होगी. लेकिन एक बात और है शिवसेना को सीएम पद देकर NCP ने अपने विरोधी को खुद से ऊपर करके महाराष्ट्र में जड़ें जमाने का मौका दे दिया है.दूसरी नजरिए से देखा जाए तो शरद पवार ने NCP के अंदर बेटी सुप्रिया को अजित पवार से मिलने वाली चुनौती को भी खत्म कर दिया. उन्होंने अविश्वसनीय होने का भी इल्जाम धो डाला.
बीजेपी को न माया मिली और न ही राम
महाराष्ट्र में इतने दिन चले सियासी संग्राम में सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को हुआ है. प्रदेश में 105 सीटें के बाद भी सत्ता से बाहर है, इतना ही नहीं बीजेपी ने अपने NDA के सबसे पुराने साथी शिवसेना का भी साथ खो दिया. इतना नहीं बीजेपी ने अजित पवार से हाथ मिलाकर छवि भी खराब कर ली. इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा महाराष्ट्र में बीजेपी को न माया मिली और न ही राम