सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु को आप हर चित्र और मूर्ति में सुदर्शन चक्र धारण किए देखते हैं. क्या आपके जह्न में ये सवाल आया कि आखिर भगवान विष्णु के पास ये चक्र कैसे आया. जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है, तो उस पाप का नाश करने के लिए श्री हरि विष्णु धरती पर प्रकट होते हैं और राक्षसों का वध करके सृष्टि के बोझ को हल्का करते हैं. कभी उन्होंने श्री राम के अवतार में तो कभी श्री कृष्ण के अवतार में भक्तों के कष्ट दूर किए. पूरे संसार को चलाने वाले भगवान विष्णु हैं.
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ये सुदर्शन चक्र भगवान शंकर ने ही जगत कल्याण के लिए भगवान विष्णु को दिया था. बतादें कि इस संबंध में शिवमहापुराण के कोटिरुद्रसंहिता में एक कथा का उल्लेख है. एक बार जब राक्षसों का अत्याचार बहुत बढ़ गया तब सभी देवता भगवान विष्णु के पास आए. तब श्रीहरि ने महादेव की विधिपूर्वक आराधना की. वे हजार नामों से शिव की स्तुति करने लगे. वे प्रत्येक नाम पर एक कमल पुष्प भगवान शिव को चढ़ाते.
तभी महादेव ने विष्णु की परीक्षा लेने के लिए उनके द्वारा लाए एक हजार कमल में से एक कमल का फूल छिपा दिया. शिव की माया के कारण विष्णु को ये पता नहीं चला कि एक फूल कम पाकर भगवान विष्णु उसे ढूंढने लगे.लेकिन फूल नहीं मिला. तब भगवान विष्णु ने एक फूल की पूर्ति के लिए अपना एक नेत्र निकालकर शिव को अर्पित कर दिया. विष्णु की भक्ति देखकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए और श्रीहरि के समक्ष प्रकट होकर वरदान मांगने के लिए कहा.
तभी भगवान विष्णु ने असुरों का वध करने के लिए अजेय शस्त्र का वरदान मांगा. तब भगवान शंकर ने विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया. विष्णु ने उस चक्र से सभी दैत्यों का संहार किया. इस प्रकार देवताओं को दैत्यों से मुक्ति मिली और सुदर्शन चक्र उनके स्वरूप के साथ सदैव के लिए जुड़ गया.
सुदर्शन चक्र के लिए ये मान्यता है कि एक बार अगर सुदर्शन चक्र का इस्तेमाल किया जाए तो वह अपना कार्य पूरा करने के बाद ही वापस लौटता है.