प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा कि ये एक नया भारत है. जहां युवाओं के सरनेम मायने नहीं रखते हैं. आज का युवा खुद का नाम बनाने की क्षमता रखता है. पीएम ने कहा, न्यू इंडिया में कुछ चुनिंदा लोगों की नहीं बल्कि हर भारतीय की आवाज सुनी जाती है. ये वो भारत है जहां भ्रष्टाचार कभी भी विकल्प नहीं है. पिछले कई सालों से एक दोषपूर्ण संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा था, जिसमें महत्वाकांक्षा एक खराब शब्द बन गया थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कल्पना करें कि हरियाणा का कोई ग्रुप मलयालम सीखे और कर्नाटक वाले बंगाली. इससे बड़े-बड़े फासले सिर्फ एक कदम में दूर किए जा सकते हैं, क्या हम पहला कदम बढ़ा सकते हैं ? पीएम मोदी ने कहा कोई व्यक्ति जब दूसरी भाषा सीखता है तो इससे भारतीय सांस्कृति में मेलजोल और अपनापन बढ़ता है. इससे लोगों में अलग-2 भाषाएं सीखने की ललक भी बढ़ती है.
पीएम मोदी ने आगे कहा, हम बस देश भर में बोली जाने वाली 10-12 भाषाओं में एक शब्द को प्रकाशित करने के साथ काम शुरू कर सकते हैं. एक साल में एक व्यक्ति अलग-2 भाषाओं में 300 से ज्यादा नए शब्द सीख सकता है. उन्होंने कहा, क्या हम भाषा की शक्ति का इस्तेमाल एकजुट करने के लिए नहीं सकते हैं ? क्या मीडिया एक पुल की भूमिका निभा सकता है और अलग-2 भाषाओं को बोलने वाले लोगों को करीब ला सकता है. ये उतना मुश्किल नहीं जितना लगता है.
प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि दुनिया का एक मात्र देश भारते है, जिसके पास इतनी सारी भाषाएं हैं. लेकिन कुछ स्वार्थी हितों ने भाषा का भी शोषण किया है.