पूरे देश में 2 सितंबर, 2019 को गणेश चतुर्थी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया गया. इसके बाद लोगों ने अपने रीति-रिवाज के मुताबिक गणपति विसर्जन शुरू कर दिया है. कई लोग गणपति विसर्जन गणेश चतुर्थी के दस दिन बाद करते हैं, जबकि कुछ लोग पहले भी पूजा पूरी करके विसर्जन कर देते हैं. इस बीच गणपति विसर्जन को लेकर सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रही है.
At the risk of being called a jihadi terrorist for simply voicing my opinion on an environmental issue, may I please just ask those who do the Ganpati Visarjan in natural water bodies: WHY can’t you use eco-friendly, biodegradable (non-toxic paint) idols?pic.twitter.com/EmhIjiC31t
— Zainab Sikander (@zainabsikander) September 7, 2019
दावा
इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि अहमदाबाद की साबरमती नदी में गणपति विसर्जन पर प्रतिबंध लगने पर लोगों ने मूर्तियों को फुटपाथ पर ही छोड़ दिया है. एक चलती कार से वीडियो को बनाया गया है जिसमें दिख रहा है कि देवी देवताओं की सैकड़ों मूर्तियां फुटपाथ पर रखी हैं.
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सच
दरअसल जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, उसका गणेश विसर्जन से कोई लेना देना नहीं है. वो असल में अहमदाबाद का है. जब बीते महीने आम नागरिकों ने स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनते हुए विसर्जित करने की बजाय साबरमती नदी के किनारे दशामा माता की मूर्तियां रख दी थी. सबसे बड़ी बात इस वीडियो को इस भ्रामक दावे के साथ हजारों लोग शेयर कर चुके हैं. वहीं इस वीडियो को लेखक और राजनीतिक विश्लेशक जैनब सिकंदर ने भी ट्वीट करते हुए आपत्ति जताई है.
पड़ताल कैसे की?
एक अंकुर सिंह नाम के यूजर ने जैनब सिंकदर के ट्वीट को कोट करते हुए लिखा कि ये वीडियो एक महीना पुराना है और अहमदाबाद का है. यूजर ने ट्वीट में ये भी कहा कि ये गणपति विसर्जन नहीं बल्कि दशामा माता की मूर्तियां हैं.
This is one month old video from Ahmedabad
It’s not Ganapati, but Dashama Visarjan
People left idols at the bank of Sabarmati river, to keep the river clean.
Municipal corporation immersed these idols at Visarjan spots, not in Sabarmati river. https://t.co/hdOexdafh1
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 9, 2019
अंकुर ने बताया कि साबरमती नदी को साफ रखने के लिए आम लोगों ने नदी के किनारे दशामा माता की मूर्ति रखी थीं. इसके बाद अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ने इन मूर्ति का विसर्जन कर दिया. विसर्जन के लिए अलग जगह बनाई गई थी.
वहीं ट्वीटर पर अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के कमिशनर विजय नेहरा का एक ट्वीट मिला, जिसमें उन्होंने अपने पुराने ट्वीट को कोट करते हुए अब इस वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किए जाने के बारे में बताया था.
I shared this one month ago.
Retweeting this in light of some out of context videos being circulated on social media. #Ahmedabad #SwachhBharat #SwachhSabarmati https://t.co/yxIR8L46zr— Vijay Nehra (@vnehra) September 9, 2019
विजय नेहरा ने पुराना ट्वीट 11 अगस्त 2019 को किया था. ट्वीट में अहमदाबाद और साबरमती रिवरफ्रंट में पड़ी मूर्तियों की तस्वीरें थीं. इस ट्वीट में नेहरा ने अहमदाबाद के लोगों के जज्बे की तारीफ की थी, जहां बड़ी संख्या में लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत नदीं में दशामा मूर्तियां विसर्जित नहीं की थी.
Something amazing is happening in #Ahmedabad today.
Ordinary citizens have decided to keep #Sabarmati river clean.
Instead of immersing Dashama idols in the river, they have respectfully left them on the banks!!
Thousands and Thousands of them. Unbelievable change 🙏 pic.twitter.com/t5f0yh9ywr
— Vijay Nehra (@vnehra) August 11, 2019
दूसरी ओर नेहरा ने अपने अन्य ट्वीट में बताया था कि दशामा की मूर्तियों के विसर्जन के लिए आर्टिफिशल तालाब बनाए गए थे.
Something amazing is happening in #Ahmedabad today.
Ordinary citizens have decided to keep #Sabarmati river clean.
Instead of immersing Dashama idols in the river, they have respectfully left them on the banks!!
Thousands and Thousands of them. Unbelievable change 🙏 pic.twitter.com/t5f0yh9ywr
— Vijay Nehra (@vnehra) August 11, 2019
निष्कर्ष
यहां पर ये बात साफ होती है कि जिस वीडियो को गणपति विसर्जन का बताकर वायरल किया गया है वह दरअसल एक महीना पुरानी वीडियो है और दशा मां मूर्ति विसर्जन से जुड़ा है.