विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी 69 साल के हो गए हैं. एक इंसान कड़े संघर्ष के बाद जीरो से हीरो तक का सफर तय करता है और जब वो इस शिखर की चोटी पर बैठ जाता है, तो उसकी मेहनत और लगन की वजह से लोग उस युग या समय को उसके नाम से जानते हैं. सियासत की ये कहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है. सड़क से लेकर संसद तक का ये सफर काफी उतराव चढ़ाव से भरा रहा. उनके संघर्ष ने उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठाया. तभी आज राजनीति में कहा जाता है कि “मोदी युग” चल रहा है. अगर पीएम की जिंदगी में चाय की मिठास से कुर्सी की रूतबे तक नजर डालें तो पूरा विश्व प्रधानमंत्री की चमक का दीवाना हैं.
प्रधानमंत्री मोदी का जीवन परिचय
– पीएम मोदी का जन्म साल 1950 में वडनगर गुजरात में बेहद साधारण परिवार में हुआ था. 17 सितंबर यानी आज प्रधानमंत्री 69 साल के हो गए हैं. एक चाय बेचने वाला पीएम बनेगा इसके बारे में किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था. मोदी ने राजनीति शास्त्र में एमए किया है.
– मोदी को बचपन से ही साधु संतों को देखना काफी अच्छा लगता था. नरेंद्र मोदी स्वयं सन्यासी बनना चाहते थे. संयासी बनने के लिए मोदी स्कूल की पढ़ाई के बाद घर से भाग गए. इस दौरान मोदी पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम सहित कई जगहों पर घूमते रहे और आखिर में हिमालय पहुंचे और कई महीनों तक साधुओं के साथ घूमते रहे.
RSS में एंट्री
– उनका बचपन से ही झुकाव आरआरएस के प्रति था. गुजरात में संघ का काफी मजबूत आधार भी था. वे 1967 में 17 साल की उम्र में अहमदाबाद पहुंचे. उसी साल पीएम मोदी ने RSS की सदस्यता ग्रहण की. फिर उसके बाद 1974 में वे नव निर्माण आंदोलन से जुड़ गए. इस तरह सक्रिय राजनीति में आने से पहले उन्होंने कई सालों तक संघ के प्रचारक के रूप में काम किया.
राजनीति में एंट्री
– नरेंद्र मोदी 1980 के दशक में गुजरात बीजेपी ईकाई में शामिल हुए. वहीं ऐसा माना जा रहा था कि पार्टी को संघ के प्रभाव से सीधा फायदा होगा. उसके बाद वो साल 1988-89 में बीजेपी की गुजरात ईकाई के महासचिव बनाए गए. फिर मोदी ने लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 की सोमनाथ-अयोध्या रथ यात्रा के आयोजन में भी भूमिका निभाई. इसके बाद वो बीजेपी के कई ओर राज्यों के प्रभारी बनाए गए.
मोदी बने गुजरात के सीएम
– नरेंद्र मोदी को 1995 में बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव और 5 राज्यों का पार्टी प्रभारी बनाया गया. उसके बाद 1998 में उन्हें महासचिव बनाया गया. इस पद पर वो अक्टूबर 2001 तक रहे.लेकिन 2001 में केशुभाई पटेल को सीएम पद से हटाने के बाद नरेंद्र मोदी को गुजरात की कमान सौंप दी गई.
गोधरा कांड
– मोदी के सत्ता संभालते ही करीब 5 महीने में ही गोधरा रेल हादसा हुआ जिसमें कई कारसेवक मार गए. फिर फरवरी 2002 में गुजरात में मुसलमानों के खिलाफ दंगे भड़क उठे. इन दंगों में सरकार के मुताबिक 1 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात दौरा किया तो उन्होंने उन्हें राजधर्म निभाने की सलाह दी थी.
इन दंगों का आरोप पीएम मोदी पर लगा. उन्हें सीएम पद से हटाने की बात होने लगी तो तत्काली उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी उनके समर्थन में आए और वो राज्य के सीएम बने रहे. हालांकि पीएम मोदी के खिलाफ दंगों से संबंधित कोई आरोप कोर्ट में साबित नहीं हो सके.
तीन बार बने मुख्यमंत्री
नरेंद्र मोदी ने गुजरात राज्य में विकास कर अपने आपको साबित किया. दिसंबर 2002 के विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2007 के चुनावों में फिर 2012 में भी नरेंद्र मोदी ने जीत हासिल की और वो 3 बार गुजरात के सीएम रहे.
फिर बढ़ा राजनीतिक कद
बीजेपी ने 2009 में आडवाणी की अगुवाई में लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन यूपीए के हाथों हार का सामना करना पड़ा. जिसके बाद आडवाणी का कद पार्टी में घटने लगा. दूसरी पंक्ति में कई नेता तेजी से उभर रहे थे- जिसमें गडकरी, राजनाथ सिंह,सुष्मा स्वराज और अरुण जेटली शामिल थे. मोदी इस वक्त तक दो बार विधानसभा चुनाव जीत चुके थे. उनका कद राष्ट्रीय होता जा रहा था. जब 2012 में लगातार तीसरी बार मोदी ने विधानसभा में जीत हासिल की, तो ये माना जाने लगा था कि अब मोदी देश की राजनीति में आएंगे. ऐसा ही हुआ जब मार्च 2013 में नरेंद्र मोदी को बीजेपी संसदीय बोर्ड में नियुक्त किया गया और सेंट्रल इलेक्शन कैंपने कमेटी का चेयरमैन बनाया गया. ये साफ संकेत थे कि अगले लोकसभा चुनाव में मोदी पार्टी का चेहरा होंगे.
दो बार बने प्रधानमंत्री
फिर वही हुआ साल 2014 आया बीजेपी ने नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा और मोदी ने देश की जनता को सपने दिखाएं,उन सपनों को देश की जनता ने खरीदा. फिर यहीं से राष्ट्रीय राजनीति में मोदी युग की शुरुआत हुई. पूर्ण बहुमत के साथ बीजेपी सत्ता में आई. बीजेपी को अपने दम पर 282 सीटें मिली. नरेंद्र दमोदर दास मोदी ने 26 मई 2014 को भारत के 14वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली.
– इसके बाद साल 2019 में लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा सवाल था कि क्या मोदी का करिश्मा बरकरार है. क्या उनका जादू फिर चलेगा. किसी को अंदाजा भी नहीं था कि बीजेपी इतनी सीटें ले जाएगी. फिर मोदी के चेहरे पर एनडीए
की ऐतिहासिक जीत हुई. 2019 लोकसभा चुनाव की जीत 2014 से काफी बड़ी थी. इस बार बीजेपी को 303 सीटें मिली.
मोदी की योजनाएं
2014 में पीएम बने के बाद से अब तक नरेंद्र मोदी सरकार ने कई लोकप्रिय योजनाओं की शुरूआत की है. इन योजनाओं का सीधा-सीधा लाभ भारत की जनता को मिल रहा है. जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री आरोग्य योजना, मुद्रा योजना, जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, अटल योजना, स्टार्टअप,शौचालय ,प्रधानमंत्री कोशल योजना जैसी तमाम योजनाएं शामिल हैं. वहीं कुछ दिन पहले पीएम मोदी ने फिट मूवमेंट की भी शुरुआत की है.
मोदी की खास बात
पीएम नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत है कि वो हर परिस्थति में अपने आप को ढाल लेते हैं. चाहे कुंभ के मेले के दौरान दलीतों का पैर छूना हो या प्लास्टिक के कचरे बिनने वाली महिलाओं के साथ बैठकर कचरा बिनना हो या अपने हर भाषण में उस इलाके की भाषा में पहले संबोधन कर जनता का दिल जीतना हो ओर अभी आपने देखा कि चंद्रयान-2 मिशन पुरी तरह सफल ना होने के बाद इसरो के प्रमुख के. सिवान को गले लगाना हो. प्रधानमंत्री लोगों के दिलों पर सीधा संपर्क करना जानते है. मन की बात के जरिए वो आम जनता के मन तक पहुंच जाते है.
पॉपुलर प्रधानमंत्री मोदी
पीएम मोदी की पॉपुलेरिटी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लोग उन्हें देश का महान प्रधानमंत्रियों जैसे जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बराबर खड़ा देखते हैं.
पिछले साल हुए एक सर्वे में प्रधानमंत्री मोदी को दुनिया का तीसरा बड़ा नेता माना गया था. उन्होंने रैंकिंग में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन, इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू समेत दुनिया के तमाम शक्तिशाली नेताओं को पीछे छोड़ दिया था. ये सर्वे गॉलअप इंटरनेशनल ने किया था. वहीं पीएम मोदी के ट्विटर फॉलोअर्स की संख्या 9 सिंतबर को 5 करोड़ हो गई है. सबसे ज्यादा फॉलोअर की लिस्ट में मोदी 20वें स्थान पर हैं. वे टॉप-20 में पहुंचने वाले इकलौते भारतीय हैं.